उत्साहवर्धक विचार* 😁
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★ भ्रष्ट दुनिया से बेदाग: नूह के जीवन से सबक
उत्पत्ति 6
5 प्रभु ने देखा कि पृथ्वी पर मानव जाति की दुष्टता कितनी बढ़ गई है, और मानव हृदय के विचारों की हर प्रवृत्ति हर समय बुराई ही थी।
7 इसलिये यहोवा ने कहा, मैं पृय्वी पर से उस मनुष्यजाति को मिटा डालूंगा जिसे मैं ने उत्पन्न किया है, और उनके साय पशुओं, पक्षियों, और भूमि पर रेंगनेवाले जन्तुओं को भी मिटा डालूंगा, क्योंकि मैं पछताता हूं कि मैं ने उनको बनाया है। ”
8 परन्तु नूह को प्रभु की कृपा दृष्टि प्राप्त हुई।
9 यह नूह और उसके परिवार का विवरण है। नूह एक धर्मी व्यक्ति था, अपने समय के लोगों के बीच निर्दोष था, और वह परमेश्वर के साथ ईमानदारी से चलता था।
13 तब परमेश्वर ने नूह से कहा, मैं सब मनुष्योंका अन्त कर डालूंगा, क्योंकि उनके कारण पृय्वी उपद्रव से भर गई है। मैं निश्चय ही उन दोनों को और पृथ्वी को नष्ट करने जा रहा हूँ।
14 इसलिये अपने लिये सनोवर की लकड़ी का एक सन्दूक बनवाना; इसमें कमरे बनाओ और इसे अंदर और बाहर पिच से लेप करो।
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22 नूह ने सब कुछ वैसा ही किया जैसा परमेश्वर ने उसे आज्ञा दी थी।
हम सभी जानते हैं कि जिस दुनिया में हम रहते हैं वह अंधकार और बुराई से भरी है। इस दुनिया में इसके मूल्यों से अलग रहते हुए रहना एक चुनौती हो सकता है, लेकिन यह निश्चित रूप से असंभव नहीं है, जैसा कि हम नूह और उसके परिवार के जीवन से देख सकते हैं। दुष्ट दुनिया में अधर्मी लोगों के बीच रहने के बावजूद, नूह एक धर्मी और निर्दोष व्यक्ति के रूप में सामने आया। वह परमेश्वर के साथ ईमानदारी से चला, और फलस्वरूप, उसकी नज़रों में अनुग्रह पाया।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्रभु के साथ चले बिना, हम इस दुनिया में रोशनी के रूप में चमक नहीं पाएंगे। हमारे अंदर प्रभु यीशु मसीह के बिना, वह सच्ची रोशनी जो इस अंधेरी दुनिया में आई, हम दूसरों के लिए मार्ग रोशन नहीं कर सकते।
हमने यह भी पढ़ा कि नूह ने सब कुछ वैसा ही किया जैसा परमेश्वर ने आदेश दिया था। हालाँकि नूह ने पहले कभी बारिश नहीं देखी थी या उसके बारे में नहीं सुना था, फिर भी उसने ईमानदारी से दैवीय निर्देशों के आधार पर एक जहाज़ का निर्माण किया। जब उसके आस-पास के लोग उसका मज़ाक उड़ाते थे तब भी वह अपना ध्यान केन्द्रित रखता था। और इसलिए वह और उसका परिवार बच गये।
ईश्वर हमें ऐसा विश्वास और पूर्ण आज्ञाकारिता रखने में मदद करें।
ले लेना:
¶ हम इस दुनिया में हैं लेकिन इस दुनिया के नहीं। परमेश्वर की संतान होने के नाते, हमें निर्दोष और शुद्ध होना चाहिए।
¶ हमें हर काम वैसे ही करना चाहिए जैसे ईश्वर आज्ञा देता है, भले ही वह हमारी समझ से परे हो। हमें उसका पूर्णतः पालन करना चाहिए।
📖दिन के लिए श्लोक📖
फिलिप्पियों 2:14-15
14 हर काम बिना कुड़कुड़ाए या बहस किए करो,
15 ताकि तुम निर्दोष और शुद्ध बनो, “बिगड़े और कुटिल युग में परमेश्वर की निर्दोष सन्तान।” तब तुम उनके बीच आकाश में तारों के समान चमकोगे।
व्यवस्थाविवरण 5:32-33
_इसलिये जैसा तेरे परमेश्वर यहोवा ने तुझे आज्ञा दी है वैसा ही करने में चौकसी करना। तुम दाहिनी ओर या बायीं ओर न मुड़ना। जिस मार्ग की आज्ञा तेरे परमेश्वर यहोवा ने तुझे दी हो उसी मार्ग पर चलना, जिस से तू जीवित रहे, और तेरा भला हो, और जो देश तू अपने अधिक्कारनेी में होगा उस में बहुत दिन तक जीवित रहे।
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Written by ✍️:: Sis Shincy Susan
Translation by::Bro Manoj
Mission sagacity Volunteers
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